भारत का सबसे बड़ा प्राणी उद्यान - वंडालूर चिड़ियाघर

भारत का सबसे बड़ा प्राणी उद्यान वंडालूर चिड़ियाघर है जिसे आधिकारिक रूप से अरीग्नार अन्ना जूलॉजिकल पार्क (Arignar Anna Zoological Park) कहा जाता है। यह तमिलनाडु के चेन्नई शहर के वंडालूर क्षेत्र में स्थित है और लगभग 602 हेक्टेयर (लगभग 1490 एकड़) क्षेत्र में फैला हुआ है जो इसे भारत का सबसे विशाल चिड़ियाघर बनाता है।

वंडालूर चिड़ियाघर

वंडालूर चिड़ियाघर की विशेषताएं

  • यह चिड़ियाघर दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे बड़े प्राणी उद्यानों में से एक है और यहाँ 170 से अधिक विभिन्न प्रजाति के लगभग 2200 जानवर रखे गए हैं।
  • यहां प्रमुख रूप से सफेद बाघ, बंगाल टाइगर, हिमालयी काले भालू, नीलगिरी लंगूर, और हिप्पो जैसे कई जानवर देखे जा सकते हैं।
  • वंडालूर चिड़ियाघर ने बंदी संरक्षण (captive breeding) और जानवरों के संरक्षण के क्षेत्र में कई सफलताएं हासिल की हैं जैसे कि यहां हाल ही में हिप्पो के चार बच्चों का जन्म हुआ जो इस प्राणी उद्यान की उत्कृष्ट देखभाल और सुरक्षित वातावरण का प्रमाण है।
  • यहाँ जानवरों के लिए प्राकृतिक वातावरण की नकल की गई है जैसे तालाब, नदी किनारे के माहौल और छायादार विश्राम स्थल, जिससे जीवों को प्रकृति के करीब रखा जाता है।
  • यह चिड़ियाघर न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है बल्कि वन्यजीव संरक्षण, शोध और शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान है।
  • वंडालूर चिड़ियाघर में सुरक्षा के कड़े उपाय हैं जैसे कि जानवरों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व

वंडालूर चिड़ियाघर पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह भारत में वन्यजीव पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है, जहां लोग बच्चों और परिवार के साथ प्राकृतिक और जीव-जंतु जीवन का अनुभव कर सकते हैं। साथ ही, यह चिड़ियाघर शिकारी और विलुप्त होने वाले प्रजातियों के संरक्षण का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।

इस प्रकार वंडालूर चिड़ियाघर भारत का सबसे बड़ा और आधुनिक प्राणी उद्यान है जो वन्य जीवन संरक्षण, जनसामान्य के लिए शिक्षा और मनोरंजन के त्रिवेणी में उत्कृष्ट योगदान दे रहा है।

वंडालूर चिड़ियाघर का इतिहास काफी समृद्ध और रोचक है। इसका आरंभ 1855 में मद्रास (अब चेन्नई) में एक छोटे से संग्रहालय और चिड़ियाघर के रूप में हुआ था जिसे माड्रास जूलॉजिकल गार्डन कहा जाता था। उस समय यह संग्रहालय के परिसर में था और इसका संचालन डॉक्टर बालफौर के मार्गदर्शन में किया गया। 

अपने प्रारंभिक वर्षों में, जानवरों को लेकर कुछ समस्याएं आईं जैसे कि पर्यावरण की कमी और स्थानीय निवासियों की असंतुष्टि, जिसके कारण जानवरों को अलग स्थान पर शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया। 1860 में चिड़ियाघर को "पीपल्स पार्क" नामक स्थान पर स्थानांतरित किया गया, जो मौजूदा चेन्नई रेलवे स्टेशन के पास था।

लेकिन, 20वीं सदी के मध्य तक यह स्थान जानवरों की जीवन आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ साबित हुआ। इसलिए 1976 में सरकार ने निर्णय लिया कि चिड़ियाघर को वंडालूर के जंगल क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए, जहां प्राकृतिक वातावरण अधिक उपयुक्त था।

1979 में वंडालूर में नए चिड़ियाघर का निर्माण शुरू हुआ। यह परियोजना लगभग 7.30 करोड़ रुपये की लागत से सम्पन्न हुई। 1985 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया। इस स्थान को तमिलनाडु के पहले द्रविड़ीय मुख्यमंत्री अरीग्नार अन्ना के नाम पर "अरीग्नार अन्ना जूलॉजिकल पार्क" नाम दिया गया। यह नई जगह 602 हेक्टेयर (लगभग 1490 एकड़) में फैली है और भारत का सबसे बड़ा और दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण प्राणी उद्यान बन गया है।

वंडालूर चिड़ियाघर ने अपनी स्थापना से अब तक वन्यजीव संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, और वन्य जीवन शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यह लाखों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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